Australopithecus olduvai gorge discoverey

आस्ट्रेलोपिथिकस , ओल्डुवई गोर्ज की खोज 17 जुलाई , 1959 ओल्डुवई गोज 

सर्वप्रथम बीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में एक जर्मन तितली संग्राहक द्वारा खोजा गया था लेकिन आगे चलकर यह ओल्डुबई नाम मेरी अधिक समय तक शोधकार्य किया था । मेरी लीकी और लुईस लीकी के साथ गहराई से जुड़ गया जिन्होंने बटाँ 40 वर्ष से ने ही ओल्डुबई और लेतोली में पुरातत्वीय खुदाई कार्यों की देखभा और वहाँ की गई ऑफ़ द खोजों में उसका हाथ रहा था । लुईस लीकी ने अपनी इस अद्भुत की थी का वर्णन इस प्रकार किया है ; " उस दिन सवेरे जब मैं उठा । मुझे सिर में दर्द और उदाका बुखार हो रहा था इच्छा तो नहीं जी पर मुझे शिविर में ही रहना पड़ा । चूंकि लग दोनों में से मैं काम गर नहीं जा रहा था इसलिए मेरी के लिए । काम पर जाना जरूरी हो गए । हमें अपना काम पूरा करने के लिए सिर्फ सात सप्ताह का ही समय मिला था जो जल्दी - जल्दी बीत रहा था । इसलिए मेरी अपने दोनों कुत्तों सैली और टूट्स के साथ खुदाई पर चली गई और मैं बेचैन होकर पीछे शिविर में रह गया । कुछ समय बाद शायद मेरी झपकी टूटी तो मैंने लैंड रोवर को आवाज़ सुन बड़ी तेज़ी से शिविर की ओर आ रही थी मुझे पत भर के लिए एक सपना सा आ गया , मुझे लगा कि मेरी को किसी जहरीले बिच्छू ने काट लिया है- वहाँ सैकड़ों की तादाद में बिच्छू थे , अथवा किसी साँप ने डस लिया है जो कुत्तों की नज़र ब निकला होगा । लैंड रोवर गाड़ी खड़खड़ाहट के साथ स्की । और मैंने कई बार मेरी की आवाज सुनी , वह बार - बार पुकार रही थी । मैंने उसे पा लिया । मैंने उसे पा लिगा ! मैंने उसे पा लिया ! मैं अब भी सिरदर्द से लड़खड़ा रहा था ; मैं उसका मतलब नहीं समझ पाया । मैंने पूछा अरे , क्या हुआ ? क्या पा लिया ? क्या चोट खा बैठी ? मेरी ने कहा , " उसी को बस उस आदमी को ! हमारे आदमी पा लिया , उसी को जिसे हम ( पिछले 23 वर्षों से ) खोज रहे थे । जल्दी आओ , मुझे उसके दाँत मिल गए हैं । ” ' फाइंडिंग दि वल्ड्स अर्लिएस्ट मैन ' , लेखक : एल.एस.बी. लीकी , नैशनल ज्योग्राफ़िक , 118 ( सितंबर 1960 )

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